Sunday 26 June 2011

और वह सुधर गई

                         और वह सुधर गई                                               
                                                                  -ईप्सा


    शालिनी और मालिनी दोनों अच्छी सहेलियाँ थी। दोनों हमेशा साथ-साथ रहतीं और एक-दूसरे की मदद किया करती थीं। दोनों कक्षा तीन में पढ़ती थी। उसी कक्षा में एक लड़की थी जिसका नाम था माधुरी। माधुरी अकेली रहती थी। उसकी कोई सहेली नहीं थी।
    एक दिन शालिनी अपनी कक्षा की सभी लड़कियों के साथ बाहर खेल रही थी। माधुरी भी खेल रही थी। माधुरी चुपचाप वहाँ से कक्षा में आई। उसने शालिनी के बैग से गणित की कापी निकाल कर मालिनी के बैग में छिपा दी। कापी छिपाकर माधुरी फिर मैदान में जाकर खेलने लगी। किसी को बिल्कुल शक नहीं हुआ।
    अगला घंटा गणित का था। शलिनी ने अपना बैग देखा तो उसे गणित की कापी नहीं मिली। उसे खूब याद था कि उसने सुबह घर से चलते समय अपने बैग में गणित की कापी रखी थी।
    शालिनी रोते हुए मैडम के पास पहुँची, और बोली-
    “मैडम, मेरी गणित की कापी किसी ने चुरा ली है।” मैडम ने सभी के बैग दिखवाये। मालिनी के बैग में शालिनी की कापी निकल आयी। मालिनी रोते हुए बोली-
    “मैडम, मैंने कापी नहीं चुराई है।”
    “कापी तुम्हारे बैग से निकली है सबके सामने और तुम साफ झूठ बोल रही हो कि तुमने कापी नहीं चुराई है।” मैडम ने मालिनी को डाँटते हुये कहा।
    शालिनी और मालिनी में लड़ाई हो गई। मालिनी अब अकेली रहने लगी। मालिनी एक दिन विचार करने लगी-
    “कापी मैंने नहीं चुराई, लेकिन मेरे बैग में फिर आई कैसे?..... आखिर ऐसा कौन कर सकता है?.... कोई न कोई तो जरूर है जो ऐसा करता है।”
    एक दिन चित्रकला का घंटा था। सभी बच्चे कला कक्ष में चले गये। मालिनी ब्रश बैग में ही भूल आई थी इसलिए वह रास्ते से ही अपनी कक्षा में ब्रश लेने के लिए लौट आई। मालिनी को लगा कि कक्षा में कोई है।
    वह चुपचाप दरबाजे की ओट में खड़े होकर देखने लगी। उसने देखा कि कक्षा में माधुरी है। माधुरी गीता के बैग से कुछ निकाल कर शालिनी के बैग में रख रही थी।
    मालिनी तुरन्त कक्षा में गई और उसने माधुरी से पूछा-
    “तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
    माधुरी घबरा गई। वह बोली- “कुछ भी तो नहीं कर रही थी।”
    मालिनी ने उसे डाँटते हुए कहा- “तुम चोरी कर रही थीं। तुम्हारी सीट तो आगे है फिर तुम गीता और शालिनी के बैग के पास क्या कर रही थीं?”
    मालिनी ने माधुरी को पकड़ लिया और कक्षा के सभी बच्चों को बुलाने के लिए किसी लड़के से कहा। सभी बच्चों को लेकर मैडम कक्षा में आ गईं।
    माधुरी ने अपनी गलती सभी के सामने मान ली। उसने बताया-
    “मुझे एक-दूसरे में लड़ाई कराना अच्छा लगता था। इसलिए मैं ऐसा किया करती थी। शालिनी की कापी मैंने ही मालिनी के बैग में रखी थी। और आज मैं गीता के बैग से कापी निकाल कर शालिनी के बैग में रख रही थी। तभी मालिनी ने मुझे देख लिया।...... मुझे माफ कर दीजिए। अब मैं ऐसा कभी नहीं करूँगी।”
    शालिनी को अब पूरी बात समझ में आ गई। उसने मालिनी से माफी माँगी। शालिनी और मालिनी फिर दोस्त बन गईं। माधुरी ने भी अपनी गन्दी आदत छोड़ दी और वह सभी लड़कियों के साथ मिलकर रहने लगी। अब माधुरी भी अच्छी लड़की बन गई। सभी लड़कियों ने उसे अपनी सहेली बना लिया।
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Saturday 25 June 2011

रोहित की होशियारी ( बाल कहानी )

- ईप्सा   

रोहित के पापा का स्थानांतरण होशंगाबाद से मथुरा के लिए हुआ तो उसे बहुत खुशी हुई। उसकी मम्मी और पापा भी खुश थे कि ‘चलो मथुरा के मंदिरों के खूब दर्शन करेंगे।’
    रोहित अपने पापा एवं मम्मी के साथ मथुरा आ गया. आनेे के दूसरे दिन ही वे सभी बिहारी जी के मंदिर गए. वे कभी रंगनाथ जी के मंदिर जाते तो कभी अंग्रेज मंदिर कभी  पागल बाबा के मंदिर तो कभी किसी अन्य मंदिर मंे जाते रोहित के पापा ने जहां मकान लिया था उसके पास ही तुलसी मंदिर था. तुलसी मंदिर की बड़ी चर्चा थी कि वहां रात के समय कोई रुक नहीं सकता. यदि कोई रुकेगा तो वह सुबह तक मर जाएगा. मंदिर के पुजारी एवं अन्य लोगों से रोहित ने यही सुना कि वहां जब-जब कोई व्यक्ति जाने या अनजाने में रात के समय रुक गया तो दूसरे दिन वह मरा हुआ ही मिला. यहां तक कि तुलसी मंदिर में रात के समय बन्दर भी नहीं रुकते थे.
    रोहित ने जब यह बातें सुनी तो उसे आश्चर्य हुआ. वहां के लोग तो इस घटना को भूत-प्रेत का नाम दिया करते परन्तु रोहित को भूत-प्रेत में बिल्कुल विश्वास नहीं था. रोहित तुलसी मंदिर के विषय में गंभीरता से सोचने लगा. सबसे पहले रोहित ने तुलसी मंदिर की एक-एक चीज को गम्भीरता से देखने का निश्यच किया.
    रोहित अपने पापा जी के साथ तुलसी मंदिर जाने लगा. रोज जाने से मंदिर के पुजारी जी से  भी उसकी पहचान हो गई. पुजारी जी ने भी वही सब कुछ बताया जो उसने अपने पड़ोस के लोगों से सुन रखा था.
    पुजारी जी से पूछ कर रोहित एक दिन तुलसी मंदिर के अन्दर उस स्थान को देखने गया जहां रात को रुकने से अनेक लोगों की मृत्यु हो गई थी. यह घटनाएं पहले कभी हुई होंगी क्योंकि अब तो वहां कोई रात में रुकने का साहस ही नहीं करता.
    रोहित ने अच्छी तरह से देखा कि तुलसी मंदिर के अन्दर काफी जगह है. तुलसी के बड़े-बड़े पौधे वहां खड़े हैं. तुलसी के इतने बड़े और सघन पौधे उसने पहली बार यहां देखे. इन्हीं पौधों के बीच में सीमेन्ट का एक छोटा सा चबूतरा है. यही वह चबूतरा है जिस पर रात के समय सोने वाला व्यक्ति सुबह तक मरा हुआ मिलता है.
    रोहित ने एक-एक चीज का निरीक्षण किया और कुछ सोचने लगा. उसने अपने पापा जी से भी सलाह
 ली. वह अपने विज्ञान विषय के अध्यापक से भी मिला. रोहित ने अपने पापा जी एवं अपने शिक्षक से मिलकर एक योजना बनाई कि वह रात को तुलसी मंदिर के अंदर सोएगा. लोगों में तुलसी मंदिर को लेकर जो डर फैला हुआ था उसे वह निकाल देना चाहता था. सभी यह समझते थे कि तुलसी मंदिर में रात को कोई राक्षस आ जाता है........ वही रुकने वाले को मार डालता है.
    रोहित अपने पापा के साथ तुलसी मंदिर गया और उसने पुजारी जी से कहा- ”पुजारी जी आज रात को मैं मंदिर के अंदर सोऊंगा, आप कृपया इसकी अनुमति दें.“
    पुजारी ने रोहित को बहुत समझाया कि वह जानबूझकर मौत के मुंह में क्यों जाना चाहता है
    रोहित बोला -”पुजारी जी आप चिन्ता न करें. न तो तुलसी मंदिर में कोई राक्षस है, और न मुझे कुछ होगा. आप बस रात को रुकने की मुझे अनुमति देदें. सुबह मैं आप सब को बताऊंगा कि तुलसी मंदिर का रहस्य क्या है?“
    रोहित के पापा ने भी पुजारी से कहा कि रोहित को रात में रुकने की अनुमति दे दें. पूरे   मोहल्ले में रोहित के रात भर तुलसी मंदिर में रुकने की बात फैल गई. कई लोगों ने रोहित के पापा और मम्मी को समझाया कि वे जानबूझकर अपने बच्चे को राक्षस के मुंह में क्यों धकेल देना चाहते हैं?
    रोहित के पापा एवं उसके विज्ञान के शिक्षक ने राक्षस से लड़ने कि पूरी व्यवस्था कर दी. और रोहित भी  मंदिर में रुकने के लिए ही शाम को ही पहुंच गया. मंदिर बंद होते समय रोहित को अंदर कर दिया गया. रोहित तुलसी के पौधों से घिरे चबूतरे पर पहुँच गया. उसने हाथ हिला कर सबका अभिवादन किया और सबसे चले जाने के लिए कहा.
    रोहित को चबूतरे पर छोड़ कर सब बाहर आ गए.  पुजारी जी ने रोज की तरह बाहर से ताला लगा दिया.
रोहित ने चबूतरे पर अपनी चादर बिछाई और लेट गया. वह थोड़ी देर ही लेटा था कि उसे सांस लेने में कुछ

कठिनाई सी होने लगी. रोहित तो पहले से ही सजग था.
    राक्षस ने अपने हाथ बढ़ा दिए थे. अर्थात रात्रि के समय तुलसी के अधिक पौधे होने से उनमें से कार्बनर्डाइ ऑक्साइड गैस अधिक मात्रा में निकलनी शुरू हो गई थी. जिससे ऑक्सीजन की कमी होने लगी. यही कारण था कि रोहित को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. रोहित को पूरा रहस्य समझ में आ गया. अपने साथ ले गये ऑक्सीजन के सिलेंडर का मास्क अपनी नाक पर लगा लिया और आराम से सो गया. उसे अच्छी नींद आई. जब आंख खुली तो सबेरा हो गया था.
    मंदिर के बाहर काफी भीड़ एकत्र हो गई थी. सबके चेहरे उतरे हुए थे.  पता नहीं रोहित जिंदा होगा भी या नहीं. रोहित के पापा तो निश्चिंत थे परन्तु उसकी मम्मी परेशान थीं कि पता नहीं उनका बच्चा कैसा होगा.
    पुजारी जी ने तुलसी मंदिर का द्वार खोला. भीड़ पुजारी जी के पीछे-पीछे तुलसी मंदिर के अंदर चबूतरे की ओर बढ़ गई. पुजारी जी ”श्री राधे-श्री राधे“ करते हुए चबूतरे की ओर बढ़े. चबूतरे पर रोहित लेटा हुआ था. रोहित ने भीड़ को आते देख ऑक्सीजन सिलेंडर तुलसी के पौधों में छिपा दिया और आंखें बंद करके चबूतरे पर चुपचाप लेट गया.
    चबूतरे पर रोहित को बिना हिले डुले लेटे देख सब घबरा गये. रोहित के पापा ने रोहित को आवाज दी और जब रोहित ने कोई उत्तर नहीं दिया तो वे भी घबरा गये.
    पुजारी जी कहने लगे, ”मैं पहले ही कहता था कि राक्षस के मुंह में बच्चे को मत झोंको परन्तु मेरी नहीं मानी अब लो, राक्षस ने इसका काम तमाम कर ही दिया.“
    तभी रोहित हंसते हुए उठा और कहने लगा, ”पुजारी जी राक्षस ने मेरा काम तमाम नहीं किया बल्कि मैंने राक्षस का काम तमाम कर दिया है। यह रहा आपके राक्षस से लड़ने का यंत्र.“ रोहित ऑक्सीजन सिलेंडर और मास्क उठा कर सबको दिखाने लगा.
    सभी आश्चर्य चकित थे कि यह चमत्कार कैसे हो गया. आखिर राक्षस ने रोहित को क्यों नहीं मारा.
    रोहित को जीवित देखकर सब चुपचाप खड़े थे. रोहित ने सबको चुप देख कर कहा -”जिसे आप राक्षस समझते रहे वह कोई राक्षस-आक्षस नहीं था यह आप लोगों का भ्रम था यहां तुलसी के पौधे  इतने अधिक हैं और घने भी इसलिए रात को यह पौधे अधिक मात्रा में कार्बनडाई आक्साइड गैस छोड़ने लगते हैं जिससे ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है इसलिए जो भी यहां रुकता है उसे ऑक्सीजन की कमी होने से सांस लेने में परेशानी होती है और वह मर जाता है. मैं अपने साथ ऑक्सीजन का सिलेण्डर लाया था मुझे जब रात को सांस लेने में परेशानी हुई तो मैंने ऑक्सीजन सिलेण्डर की सहायता ली और अब आपके सामने जीवित खड़ा हूं.“ बस यही इस तुलसी मंदिर का रहस्य है.
    रोहित की बातों को सबने बड़े ध्यान से सुना.  सभी रोहित के साहस और उसकी होशियारी की प्रशंसा कर रहे थे. रोहत ने कहा कि उसके विज्ञान शिक्षक ने उसे बताया है कि प्रकृति में अनेक घटनायें घटती रहती हैं. जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं उन्हें भूत प्रेतों से जोड़ लेते हैं. परन्तु प्रत्येक घटना के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है. उन कारणों की खोज करनी चाहिए और हमें अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए.
    रोहित अपने मम्मी पापा और विज्ञान शिक्षक के साथ विजयी मुस्कान लिए हुए अपने घर की ओर चल दिया.
     चारों ओर उसकी होशियारी समझदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की चर्चा हो रही थी.
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